आईने तू इतराना छोड़ दे.....
मोहब्बत की गलियों में जाना छोड़ दे...
उसकी यादों को खुसबू ही काफी है ....
ऐ इत्र..... तू..... महकाना छोड़ दे...
तेरी नजरों के जामों को.. क्या ही कहूं ?
ऐ शराब ............. तू मयखाना छोड़ दे....
उगता सूरज भी... झट से ढल जाए
अगर....... वो मुस्कुराना छोड़ दे ...
©Amit Tiwari
#Kundan&Zoya