है रिवायत ऐसी कि दस्तूर निभाने पड़ते हैं मानता नही
"है रिवायत ऐसी कि दस्तूर निभाने पड़ते हैं
मानता नहीं ये दिल मेरा
फिर भी फर्ज निभाने पड़ते हैं
कभी अपने तो कभी गैर से लगते है
ये रिश्ते मानो कहीं कमजोर से लगते हैं
प्यार नहीं पर बंधन यू बनाय बैठे हैं
रिश्ते नहीं शायद ये अहसान जताय बैठे हैं।"
है रिवायत ऐसी कि दस्तूर निभाने पड़ते हैं
मानता नहीं ये दिल मेरा
फिर भी फर्ज निभाने पड़ते हैं
कभी अपने तो कभी गैर से लगते है
ये रिश्ते मानो कहीं कमजोर से लगते हैं
प्यार नहीं पर बंधन यू बनाय बैठे हैं
रिश्ते नहीं शायद ये अहसान जताय बैठे हैं।