थोड़ी नादान हूं मैं,
थोड़ी बदनाम हूं मैं,
कुछ चेहरे बड़े अजीब है,
थोड़ी परेशान हूं मैं।।
यहां वहां ढूंढ रही हूं,
हर जगह रूक रही हूं,
कुछ गड्डे बड़े गहरे है,
शायद अंजान हूं मैं।।
अब चांद भी नाराज़ है,
और रात भी हताश है,
कुछ सितारे तूटकर गीरे है,
बेज़ार आसमान हूं मैं।।
Nadan hu Mai..
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Nehal Bhanushali Sayyar