दोस्तों ये पंक्तियां मैने राहत साहब की मशहूर रचना से प्रेरित होकर कोरोना समय में इक सामाजिक संदेश के रूप में बनाई थी। नहीं जानती थी मैं कि ये मेरी अनमोल धरोहर बन जाएंगी। मेरे और हम सबके पसंदीदा राहत साहब की शान में ये रचना साझा कर रही हूं, आशा है आप सभी को पसंद आयेगी।
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