बचपन और मेला मेला साल के त्योहारों से कम नहीं होता
बचपन का मेला है मेले में बचपना है
बड़ो का आशीर्वाद स्वरूप कुछ पैसे पाना है
पर जीतना मिले बहुत हो जाता है पाकिट में
वो मेले में जाने की खुशी ही काफी है नए कपड़ों में
इतना इंतजार उस शाम की जो ढेर खुशियां दे जाता है
अपनों के साथ जाने में कितना मजा आता है
वहा की चहल पहल सोर गुल कितना भाता है
ये लेलो वो लेलो केले लेलो पेठे लेलो जलेबी लेलो
जैसे सबके पास मन खींचा जाता है पर मज़ा आता है
हम बड़े हो जाते है पर मेला वहीं रहता है बचपना वहीं रहता है
©Vipin Neha
#mela