बचपन और मेला मेला साल के त्योहारों से कम नहीं होत | हिंदी विचार

"बचपन और मेला मेला साल के त्योहारों से कम नहीं होता बचपन का मेला है मेले में बचपना है बड़ो का आशीर्वाद स्वरूप कुछ पैसे पाना है पर जीतना मिले बहुत हो जाता है पाकिट में वो मेले में जाने की खुशी ही काफी है नए कपड़ों में इतना इंतजार उस शाम की जो ढेर खुशियां दे जाता है अपनों के साथ जाने में कितना मजा आता है वहा की चहल पहल सोर गुल कितना भाता है ये लेलो वो लेलो केले लेलो पेठे लेलो जलेबी लेलो जैसे सबके पास मन खींचा जाता है पर मज़ा आता है हम बड़े हो जाते है पर मेला वहीं रहता है बचपना वहीं रहता है ©Vipin Neha"

 बचपन और मेला  मेला साल के त्योहारों से कम नहीं होता
बचपन का मेला है मेले में बचपना है
बड़ो का आशीर्वाद स्वरूप कुछ पैसे पाना है
पर जीतना मिले बहुत हो जाता है पाकिट में
वो मेले में जाने की खुशी ही काफी है नए कपड़ों में
इतना इंतजार उस शाम की जो ढेर खुशियां दे जाता है
अपनों के साथ जाने में कितना मजा आता है
वहा की चहल पहल सोर गुल कितना भाता है
ये लेलो वो लेलो केले लेलो पेठे लेलो जलेबी लेलो
जैसे सबके पास मन खींचा जाता है पर मज़ा आता है
हम बड़े हो जाते है पर मेला वहीं रहता है बचपना वहीं रहता है

©Vipin Neha

बचपन और मेला मेला साल के त्योहारों से कम नहीं होता बचपन का मेला है मेले में बचपना है बड़ो का आशीर्वाद स्वरूप कुछ पैसे पाना है पर जीतना मिले बहुत हो जाता है पाकिट में वो मेले में जाने की खुशी ही काफी है नए कपड़ों में इतना इंतजार उस शाम की जो ढेर खुशियां दे जाता है अपनों के साथ जाने में कितना मजा आता है वहा की चहल पहल सोर गुल कितना भाता है ये लेलो वो लेलो केले लेलो पेठे लेलो जलेबी लेलो जैसे सबके पास मन खींचा जाता है पर मज़ा आता है हम बड़े हो जाते है पर मेला वहीं रहता है बचपना वहीं रहता है ©Vipin Neha

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