सूरज भले ही न बन पाए, पर दीपक बनकर रहते हैं, दुःख | हिंदी Poetry Video

""सूरज भले ही न बन पाए, पर दीपक बनकर रहते हैं, दुःख के काँटों में ही तो, सुख के फूल खिलते हैं। ज़िन्दगी की उधेड़बुन को, हम ऐसे सिला करते हैं, खुशी मिले या ग़म मिले, बस दिल लगा के जीते हैं।।" ©Anjali Singhal "

"सूरज भले ही न बन पाए, पर दीपक बनकर रहते हैं, दुःख के काँटों में ही तो, सुख के फूल खिलते हैं। ज़िन्दगी की उधेड़बुन को, हम ऐसे सिला करते हैं, खुशी मिले या ग़म मिले, बस दिल लगा के जीते हैं।।" ©Anjali Singhal

"सूरज भले ही न बन पाए,
पर दीपक बनकर रहते हैं,
दुःख के काँटों में ही तो,
सुख के फूल खिलते हैं।

ज़िन्दगी की उधेड़बुन को,
हम ऐसे सिला करते हैं,
खुशी मिले या ग़म मिले,

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