जिसे हम प्यार कहते हैं.... शायद वह भी ज़रूरतों को | हिंदी कविता

"जिसे हम प्यार कहते हैं.... शायद वह भी ज़रूरतों को पूरा करने का तरीक़ा मात्र होता है या कि एक ख़ूबसूरत सलीक़ा होता है.... स्नेह सुधा, "वक़्त-बेवक़्त""

 जिसे हम प्यार कहते हैं....
शायद वह भी ज़रूरतों को 
पूरा करने का तरीक़ा मात्र होता है
या कि एक ख़ूबसूरत सलीक़ा होता है....

स्नेह सुधा, "वक़्त-बेवक़्त"

जिसे हम प्यार कहते हैं.... शायद वह भी ज़रूरतों को पूरा करने का तरीक़ा मात्र होता है या कि एक ख़ूबसूरत सलीक़ा होता है.... स्नेह सुधा, "वक़्त-बेवक़्त"

#रिश्ते

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