ऐ ज़िन्दगी तुझे यूं गुज़रते देखा' कभी गिरते तो कभी संभलते देखा, जब दिल चाहा तुझे भर के इन बाहों में' हाथ से रेत सा फ़िसलते देखा!
रखा जो आईना तेरी निगाहों पर' तुझ तो ख़ुद में संवरते देखा, खुली जो आंख' टूटा वो ख़्वाब फिर ख़ुद में तुझको बिखरते देखा !
कभी जागी' कभी सोयी, यूँ ख़ुद में ही खोयी
कभी जली' कभी भुझी सात रंगों से सजी , वक़्त की पलकों पर यूँ निखरते देखा
©RJ Devika
#Shades