जब से हुआ मैं जोगी फ़कीरा,
दुनियाँ संग मैं हुआ अधीरा ।
तन्हाई अब नहीं सताती ,
कड़वाहट अब नहीं रुलाती ,
ना कोई दुःख है न कोई पीरा ,
जब से हुआ मैं जोगी फ़कीरा।
फिरता हूँ अब जाने कहाँ,
लगता घर ये सारा जहाँ ,
पागल कहे लोगों का ज़खीरा ,
जब से हुआ मैं जोगी फ़कीरा।
दुनियाँ संग मैं हुआ अधीरा ।।
©Uday Rajpoot 'Yudi'
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