तुम्हारी आंख में काजल की जो तिरछी ये धारी है, तुम् | हिंदी कविता

"तुम्हारी आंख में काजल की जो तिरछी ये धारी है, तुम्हें मालूम हो शायद, कि ये बरछी कटारी है। *सोमेश त्रिवेदी*"

 तुम्हारी आंख में काजल की
जो तिरछी ये धारी है,
तुम्हें मालूम हो शायद, कि ये
बरछी कटारी है।

*सोमेश त्रिवेदी*

तुम्हारी आंख में काजल की जो तिरछी ये धारी है, तुम्हें मालूम हो शायद, कि ये बरछी कटारी है। *सोमेश त्रिवेदी*

तुम्हारी आंख में काजल की
जो तिरछी ये धारी है
तुम्हें मालूम हो शायद, कि ये
बरछी कटारी है

*सोमेश त्रिवेदी*

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