रिश्ता था कुछ खास
तुमने जलाकर राख कर दिया
ऐसी भी क्या बेचैनी थी
ऐसी भी क्या तलब
जो बिना सोचे समझे तुमने हमें बर्बाद कर दिया
बर्बादी का आलम ये है अब मेरे हमनफ़स
की खुद को ही खुद में ढूंढ़ता हूं
बेचैनी के समुंदर में रोज डूबता हूं
करवटें रातो का हाल बयां करती है
लबों की ये झूठी हसीं
मानो दिन को भी रात करती है
एक था कुछ इं
Saaz💔इश्क़ का एक नया सफ़र #tereliye #रिश्ता #Poet #poet✍️ #writer #voice #saaz इश्क़ का नया सफ़र