White हुई गर घनी रात तो फिर सहर भी होंगी.. क्यो | हिंदी शायरी

"White हुई गर घनी रात तो फिर सहर भी होंगी.. क्यों खामोश है लब तेरे कल फिर मुलाक़ात भी होंगी. आज़ जो दबे दबे से है जज़्बात, कल को फिर बात भी होंगी क्या हुआ जो फेर ली तुमने नज़रे किसी मसले पर फिर नजरे दो की चार भी होंगी.. ©JitendraSHARMA (सोज़)"

 White 
हुई गर घनी रात 
तो फिर सहर भी होंगी..

क्यों खामोश है लब तेरे 
कल फिर मुलाक़ात भी होंगी.

आज़ जो दबे दबे से है जज़्बात,
कल को फिर बात भी होंगी 

क्या हुआ जो फेर ली तुमने नज़रे
किसी मसले पर फिर 
नजरे दो की चार भी होंगी..

©JitendraSHARMA (सोज़)

White हुई गर घनी रात तो फिर सहर भी होंगी.. क्यों खामोश है लब तेरे कल फिर मुलाक़ात भी होंगी. आज़ जो दबे दबे से है जज़्बात, कल को फिर बात भी होंगी क्या हुआ जो फेर ली तुमने नज़रे किसी मसले पर फिर नजरे दो की चार भी होंगी.. ©JitendraSHARMA (सोज़)

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