सुन ना जी मोर मयारु,,, यहूँ हा हमर मन के का मया ह | हिंदी कविता

"सुन ना जी मोर मयारु,,, यहूँ हा हमर मन के का मया हरे यार देख ना, ना मैं तोर नाव ले सको । ना ही मंय तोर नाव ला मोर कविता मा लिख सकों । ना मंय तोर से मिले सको, ना ही बात कर सको । अऊ ना ही मंय तोर ऊपर मया जता सको। ना ही मंय तोला कोनों ला बता सको । ना ही मंय तोर फोटू ला कोनों ला देखा सको । ना ही मंय, हमर दूनों झन के मया ला जनवा सको़ । ना मंय तोर साथ सुघ्घर मीठ भाखा गोठिया सकों । ना ही मंय तोर गाँव, तोर घर घूमे ला आ सको। हमर दूनों झन के ये कईसना मया हरे यार,,, देख ना एक बंद पिंजरा मा धंधाये सुवा बरोबर होगे हे यार हमर मया हा,,,, नव सिखिया लेखक ✨ राम - लक्ष्मण 😎 ©_Ram_Laxman_"

 सुन ना जी मोर मयारु,,,

यहूँ हा हमर मन के का मया हरे यार
 देख ना, ना मैं तोर नाव ले सको ।

ना ही मंय तोर नाव ला मोर कविता मा लिख सकों ।
ना मंय तोर से मिले सको, ना ही बात कर सको ।

अऊ ना ही मंय तोर ऊपर मया जता सको।
ना ही मंय तोला कोनों ला बता सको ।
ना ही मंय तोर फोटू ला कोनों ला देखा सको ।

ना ही मंय, हमर दूनों झन के मया ला जनवा सको़ ।
ना मंय तोर साथ सुघ्घर मीठ भाखा गोठिया सकों ।
ना ही मंय तोर गाँव, तोर घर घूमे ला आ सको।

हमर दूनों झन के ये कईसना मया हरे यार,,, 
देख ना एक बंद पिंजरा मा धंधाये सुवा बरोबर होगे हे यार हमर मया हा,,,,


नव सिखिया लेखक ✨ राम - लक्ष्मण 😎

©_Ram_Laxman_

सुन ना जी मोर मयारु,,, यहूँ हा हमर मन के का मया हरे यार देख ना, ना मैं तोर नाव ले सको । ना ही मंय तोर नाव ला मोर कविता मा लिख सकों । ना मंय तोर से मिले सको, ना ही बात कर सको । अऊ ना ही मंय तोर ऊपर मया जता सको। ना ही मंय तोला कोनों ला बता सको । ना ही मंय तोर फोटू ला कोनों ला देखा सको । ना ही मंय, हमर दूनों झन के मया ला जनवा सको़ । ना मंय तोर साथ सुघ्घर मीठ भाखा गोठिया सकों । ना ही मंय तोर गाँव, तोर घर घूमे ला आ सको। हमर दूनों झन के ये कईसना मया हरे यार,,, देख ना एक बंद पिंजरा मा धंधाये सुवा बरोबर होगे हे यार हमर मया हा,,,, नव सिखिया लेखक ✨ राम - लक्ष्मण 😎 ©_Ram_Laxman_

सुन ना जी मोर मयारु,,,

यहूँ हा हमर मन के का मया हरे यार
देख ना, ना मैं तोर नाव ले सको ।

ना ही मंय तोर नाव ला मोर कविता मा लिख सकों ।
ना मंय तोर से मिले सको, ना ही बात कर सको ।

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