25_9_2023
मिसरा _हमे भी आजमाने दिजिए
काफिया _आने
रदीफ _दिजिए
गम हमें अपने भी मिटाने दीजिए 2
कुछ देर के लिए तो मुस्कराने दीजिए ।
बहुत बहाएं है गमों के अस्क हमने 2
आसूं खुशी के अब बहाने दीजिए
छुपा के बैठे थे जो दर्द दिल में हम 2
वो दर्द सब को बताने दीजिए
टूट कर सपने गए हैं जो बिखर 2
खरे को वो सपने फिर सजाने दीजिए
गम हमें भी अपने मिटाने दिजिए
कुछ देर के लिए तो मुस्कराने दिजिए।।
✍️ सुरेश खरे
©Suresh khare
#मेरे अल्फाज