बचपन बीत गया लड़कपन में,
जवानी बीत रही घर बनाने में,
जंगल सी हो गई है जिंदगी,
हर कोई दौड़ रहा आंधी के गुबार में।
हर रोज नई भोर होती,
पर नहीं बदलता जिंदगी का ताना बाना,
सब कर रहे हैं अपनी मनमानी,
लेकिन जी नहीं रहे अपनी जिंदगानी।
©Motivational story
#Pattiyan