खेल बस वह खेलो जिससे मनोरंजन हो
और साथ में दिमाग का विकास,
लेकिन कहा अब लोगों को ये खेल पसंद रहे
लोगों को अब लोगों के साथ खेलना पसंद है
मुंह पर कुछ अंदर कुछ और रखना पसंद है ,
तभी तो हारते जा रहे है हर एक खेल अपने
जीवन का क्योंकि कभी सोचा ही नहीं की खेलना
पड़ेगा अपनों के साथ,
ऐसा नही की कभी जीते न हो
खुल के जहां सामने बाला खेला जीते है हर बार
लेकिन अपने ही अपनों से खेलते है
ये बस देख रहे इस बार,
जीतने को तो आज जीत जाए
गिरा दे सतरंज की तरह
आराम से अपने लोगो के राजा का सरताज
लेकिन फिर भी दिल नहीं कहता
कि खेलेंगे खेल ,
हम भी अपनों के साथ।
©Praveen Nayak
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