इन्सान न कटपुतली होता है। बस फर्क़ इतना है कि- खु

"इन्सान न कटपुतली होता है। बस फर्क़ इतना है कि- खुद की ख्वाहिशों की कटपुतली। या खुदा की कटपुतली। जिन्दगी में अब तक जो मिला। जो सोचा था बिल्कुल वैसा ही तो नही हुआ। लेकिन एक तसल्ली रहती है कि जो मिला बहुत अच्छा मिला। तो कैसी जल्दबाजी कैसी नाउम्मीदी। अपना काम नेकी और ईमानदारी से करते जाओ। और खुदा का जादू देखते जाओ। हवा में उड़ते वक़्त पायलट् पर भरोसा रहता है। तो जिसने तुम्हें सबकुछ दिया है और तुम्हें बनाया है। उस ईश्वर पर यकीन करके तो देखो। ©spirituality_spilled_by_doctor"

 इन्सान न कटपुतली होता है। 
बस फर्क़ इतना है कि-
खुद की ख्वाहिशों की कटपुतली। 
या खुदा की कटपुतली। 
जिन्दगी में अब तक जो मिला। 
जो सोचा था बिल्कुल वैसा ही तो नही हुआ। 
लेकिन एक तसल्ली रहती है कि जो मिला बहुत अच्छा मिला। 
तो कैसी जल्दबाजी कैसी नाउम्मीदी। 
अपना काम नेकी और ईमानदारी से करते जाओ। 
और खुदा का जादू देखते जाओ। 
हवा में उड़ते वक़्त पायलट् पर भरोसा रहता है। 
तो  जिसने तुम्हें सबकुछ दिया है और तुम्हें बनाया है। 
उस ईश्वर पर यकीन करके तो देखो।

©spirituality_spilled_by_doctor

इन्सान न कटपुतली होता है। बस फर्क़ इतना है कि- खुद की ख्वाहिशों की कटपुतली। या खुदा की कटपुतली। जिन्दगी में अब तक जो मिला। जो सोचा था बिल्कुल वैसा ही तो नही हुआ। लेकिन एक तसल्ली रहती है कि जो मिला बहुत अच्छा मिला। तो कैसी जल्दबाजी कैसी नाउम्मीदी। अपना काम नेकी और ईमानदारी से करते जाओ। और खुदा का जादू देखते जाओ। हवा में उड़ते वक़्त पायलट् पर भरोसा रहता है। तो जिसने तुम्हें सबकुछ दिया है और तुम्हें बनाया है। उस ईश्वर पर यकीन करके तो देखो। ©spirituality_spilled_by_doctor

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