रात भर इक चाँद का साया रहा, वो कुछ मुझमें, मैं कुछ | हिंदी Shayari

"रात भर इक चाँद का साया रहा, वो कुछ मुझमें, मैं कुछ उसमें यूं समाया रहा, वक्त का वो पहर कहां, कब और कैसे गुजर गया, अब न वो प्यारा पल रहा, न साथ वो तुम्हारा रहा ©Madhu Arora"

 रात भर इक चाँद का साया रहा,
वो कुछ मुझमें, मैं कुछ उसमें यूं समाया रहा,
वक्त का वो पहर कहां, कब और कैसे गुजर गया,
अब न वो प्यारा पल रहा, न साथ वो तुम्हारा रहा

©Madhu Arora

रात भर इक चाँद का साया रहा, वो कुछ मुझमें, मैं कुछ उसमें यूं समाया रहा, वक्त का वो पहर कहां, कब और कैसे गुजर गया, अब न वो प्यारा पल रहा, न साथ वो तुम्हारा रहा ©Madhu Arora

#प्यारा वो पल,, जाने कहां गया?? shayari on life shayari on love shayari status shayari love

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