सुनो ना....यहीं कहीं रहना,
कभी आंखों की नमी में तो
कभी बारिशों की बूंदों में...
कभी दिल की धड़कनों में तो
कभी गुजरते वक्त के हर पल में....
कभी मेरे फिक्र में या कभी
मेरी किसी कहानी के जिक्र में....
कभी किसी ग़ज़ल की लाइन में तो
कभी मेरे किसी दर्द में....
कभी किसी मीठी सी धुन में तो
कभी किसी कड़वे से साज में....
कभी किसी खिलती कली में तो
कभी पन्नों के बीच सुखते गुलाब में....
कभी अपने चकाचौंध वाले शहर में तो
कभी मेरे दिल की सुनसान गली में....
पर हां तुम .....यहीं कहीं रहना...!!
©Navash2411
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