"माना जुदाई का आलम है अभी,
पर एक मुलाक़ात बाकी है हम अभी इसके सहारे जी लेगें ...
इस तन्हाई, आँसू, तड़प को खुद में समेट कर,
ये यादों का सन्दूक आपके काँधे पर सर रख खोल देंगें....
तरस लेगें हम भी इस दीदार के लिए जानां! थोड़ा आप भी मुलाक़ात के लिए तड़प लेना,
और समेट लेना हमको कुछ इस कदर अपने आगोश में जानां! आपकी बाहों में खुदको तोड़ देगें..
©Khamosh Alfaaz ( Rinki )"