अपनी ज़िद के आगे" लगाके रेस, निकल जा तू, "अपनी | हिंदी कविता

"अपनी ज़िद के आगे" लगाके रेस, निकल जा तू, "अपनी जीत के आगे", छू ले पहुंच के वहां ,नए कीर्तिमान, नई ऊंचाइयों के धागे। करेंगे तेरे हौंसले को सलाम सब, फिरेंगे तेरे आगे पीछे भागे भागे। लगाके रेस,निकल जा तू, "अपने अपनी ज़िद के आगे"। ©Anuj Ray "

अपनी ज़िद के आगे" लगाके रेस, निकल जा तू, "अपनी जीत के आगे", छू ले पहुंच के वहां ,नए कीर्तिमान, नई ऊंचाइयों के धागे। करेंगे तेरे हौंसले को सलाम सब, फिरेंगे तेरे आगे पीछे भागे भागे। लगाके रेस,निकल जा तू, "अपने अपनी ज़िद के आगे"। ©Anuj Ray

# अपनी ज़िद के आगे"

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