है सवाल एक मन मे? , लेकिन कहु किससे? ,
सवाल भी तो उन्ही के,
मै अच्छा नहीं या वे अच्छे,
मै अच्छा वो बुरे।
इस बात पर रहु कैसे।
कितना करू की सब रहे साथ,
कितना कहु की सब रहे हाथ मे।
मै भी इंसा वो भी इंसा।
पर ,
वो या मै समझते क्यु नही इस बात को।
तुम भी तो मेरे हो कुछ, हा मै भी हु तुम्हारा ।
फिर क्यु करते हिसाब भी तो केवल खुद का,
कुछ किमत मेरी होनी चाहिए तुम्हारे हिसाब से भी।
है सवाल एक मन मे।
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