Nojoto वो अपनी सादगी से भरी एक झलक दिखा ही देती है
जब भी आती है बज्म में वो धीरे से मुस्कुरा देती है
अनमोल है उसकी मुस्कुराहट और ना कोई तोल है उसका
क़त्ल करती है,जब वो अपने होंटो को दाँतो में दबा देती है
क़्या कहूँ उसके हुस्न - ए - तारीफ में हर शब्द फीके है
लाज का घूँघट पहनकर आँखों में हर तरफ खुशियाँ बिछा देती है
शर्म-ओ-हया की वो ऐसी मुरत है खुद में ही लजा जाती है
जब बोलती है तो मानो सुरों की सतरंगी सरगम छेड़ देती है
किस खुदा की बनाबट है जाने कौन है वो अप्सरा,
कहर ढाती है जब अपने बालो को बाँध दो लटे लटका देती है
✍️काजल नायक
©Kajal Nayak
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