वक़्त बे वक़्त याद आऊंगा मैं जब मौसम सावन का आएगा त | हिंदी शायरी

"वक़्त बे वक़्त याद आऊंगा मैं जब मौसम सावन का आएगा तब याद आऊंगा मैं तू मुझे कैसे भूला सकता है तेरे रोम रोम तेरे हर एक ज़र्रे ज़र्रे में बसा हूॅं मैं तेरी अधूरी कहानी का किस्सा हूॅं मैं चाहें जो भी पन्ना देख ले हर एक पन्ने में याद आऊंगा मैं ©Ròcký Sám"

 वक़्त बे वक़्त याद आऊंगा मैं 
जब मौसम सावन का आएगा तब याद आऊंगा मैं  

तू मुझे कैसे भूला सकता है 
तेरे रोम रोम तेरे हर एक ज़र्रे ज़र्रे में बसा हूॅं मैं 

तेरी अधूरी कहानी का किस्सा हूॅं मैं 
चाहें जो भी पन्ना देख ले हर एक पन्ने में याद आऊंगा मैं

©Ròcký Sám

वक़्त बे वक़्त याद आऊंगा मैं जब मौसम सावन का आएगा तब याद आऊंगा मैं तू मुझे कैसे भूला सकता है तेरे रोम रोम तेरे हर एक ज़र्रे ज़र्रे में बसा हूॅं मैं तेरी अधूरी कहानी का किस्सा हूॅं मैं चाहें जो भी पन्ना देख ले हर एक पन्ने में याद आऊंगा मैं ©Ròcký Sám

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