बहुत बुरे वक्त से गुजरे जब साथ नहीं थे तुम हमारे,

"बहुत बुरे वक्त से गुजरे जब साथ नहीं थे तुम हमारे, मुझसे जुगनुओ ने भी रंजिश की, लोगों के घरों में चमके सितारे सज़ा मुकर्रर कर दी गई बताया भी नहीं गुनाह क्या थे हमारे यादों को समेटे फिरते रहे जब मिलना बस में नहीं था हमारे।। बारिश शहर में हुई वो समझे ही नहीं उसमें कितने आंसू थे हमारे गुम हो गई शख्शियत अब चुभता है मेरे सामने जब कोई तेरे नाम को पुकारे हिचकियां बहुत आती है अब तुझे और कितने रकीब से वास्ते है तुम्हारे।। मैं रुक जाता हूं वही जहां से घर को रास्ते जाते हैं तुम्हारे घुटन मुझे मिली सांसें हिस्से में आ जाती है तुम्हारे आइना भी हंसता है मुझे देखकर कोई बताता क्यूं नहीं कसूर हमारे।। ©sukoon"

 बहुत बुरे वक्त से गुजरे जब साथ नहीं थे तुम हमारे,
मुझसे जुगनुओ ने भी रंजिश की, लोगों के घरों में चमके सितारे
  सज़ा मुकर्रर कर दी गई बताया भी नहीं गुनाह क्या थे हमारे
    यादों को समेटे फिरते रहे जब मिलना बस में नहीं था हमारे।।

बारिश शहर में हुई वो समझे ही नहीं उसमें कितने आंसू थे हमारे 
           गुम हो गई शख्शियत अब चुभता है मेरे सामने जब कोई तेरे नाम को पुकारे 
हिचकियां बहुत आती है अब तुझे और कितने रकीब से वास्ते है तुम्हारे।।
   
  मैं रुक जाता हूं वही जहां से घर को रास्ते जाते हैं तुम्हारे
              घुटन मुझे मिली सांसें हिस्से में आ जाती है तुम्हारे
      आइना भी हंसता है मुझे देखकर कोई बताता क्यूं नहीं कसूर हमारे।।

©sukoon

बहुत बुरे वक्त से गुजरे जब साथ नहीं थे तुम हमारे, मुझसे जुगनुओ ने भी रंजिश की, लोगों के घरों में चमके सितारे सज़ा मुकर्रर कर दी गई बताया भी नहीं गुनाह क्या थे हमारे यादों को समेटे फिरते रहे जब मिलना बस में नहीं था हमारे।। बारिश शहर में हुई वो समझे ही नहीं उसमें कितने आंसू थे हमारे गुम हो गई शख्शियत अब चुभता है मेरे सामने जब कोई तेरे नाम को पुकारे हिचकियां बहुत आती है अब तुझे और कितने रकीब से वास्ते है तुम्हारे।। मैं रुक जाता हूं वही जहां से घर को रास्ते जाते हैं तुम्हारे घुटन मुझे मिली सांसें हिस्से में आ जाती है तुम्हारे आइना भी हंसता है मुझे देखकर कोई बताता क्यूं नहीं कसूर हमारे।। ©sukoon

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