नित अखबारों में किसी न किसी फौज़ी‌ भाई की शहादत के | हिंदी Sad

"नित अखबारों में किसी न किसी फौज़ी‌ भाई की शहादत के बारे में पढ़ पढ़ कर कलेजा छलनी हो जाता है। क्योंकि हो सकता है हमारे महान सत्ता आरूढ़ नेताओं के लिए वो केवल एक फौज़ी मात्र हो परन्तु उनके परिवार के लिए वही सारा संसार थे। उनके परिवारों की व्यथा सोच कर ही कलेजा मुंह को आता है वो‌ कैसे धीरज धरते होंगें कैसे उन्हें सांत्वना मिलेगी कम उम्र में सेना में भर्ती होने का जोश और ऐसे शहीद हो जाना सच कहूं मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती पर हां उस पीड़ा को महसूस जरूर कर सकती हूं जो किसी अपने को खोने पर होती है। आप सब से अनुरोध है कृप्या इस विषय में सोचें,विचार करें और यदि आप किसी पीड़ित परिवार की सहायता करने में‌ सक्षम हैं तो मेरी हाथ जोड़कर विनती है कि सहयोग अवश्य करें। हम उनका दुख कम नहीं कर सकते मगर अपने‌ शब्दों से उनके घावों पर मरहम तो‌ लगा ही सकते हैं। ©Sangeet..."

 नित अखबारों में किसी न किसी फौज़ी‌ भाई की शहादत के बारे में पढ़ पढ़ कर कलेजा छलनी हो जाता है।
क्योंकि हो सकता है हमारे महान सत्ता आरूढ़ नेताओं के लिए वो केवल एक फौज़ी मात्र हो परन्तु उनके परिवार के लिए वही सारा संसार थे।
उनके परिवारों की व्यथा सोच कर ही कलेजा मुंह को आता है
वो‌ कैसे धीरज धरते होंगें
कैसे उन्हें सांत्वना मिलेगी
कम उम्र में सेना में भर्ती होने का जोश और ऐसे शहीद हो जाना
सच कहूं मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती पर हां उस पीड़ा को महसूस जरूर कर सकती हूं जो किसी अपने को खोने पर होती है।
आप सब से अनुरोध है कृप्या इस विषय में सोचें,विचार करें और यदि आप किसी पीड़ित परिवार की सहायता करने में‌ सक्षम हैं तो मेरी हाथ जोड़कर विनती है कि सहयोग अवश्य करें।
हम उनका दुख कम नहीं कर सकते मगर अपने‌ शब्दों से उनके घावों पर मरहम तो‌ लगा ही सकते हैं।

©Sangeet...

नित अखबारों में किसी न किसी फौज़ी‌ भाई की शहादत के बारे में पढ़ पढ़ कर कलेजा छलनी हो जाता है। क्योंकि हो सकता है हमारे महान सत्ता आरूढ़ नेताओं के लिए वो केवल एक फौज़ी मात्र हो परन्तु उनके परिवार के लिए वही सारा संसार थे। उनके परिवारों की व्यथा सोच कर ही कलेजा मुंह को आता है वो‌ कैसे धीरज धरते होंगें कैसे उन्हें सांत्वना मिलेगी कम उम्र में सेना में भर्ती होने का जोश और ऐसे शहीद हो जाना सच कहूं मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती पर हां उस पीड़ा को महसूस जरूर कर सकती हूं जो किसी अपने को खोने पर होती है। आप सब से अनुरोध है कृप्या इस विषय में सोचें,विचार करें और यदि आप किसी पीड़ित परिवार की सहायता करने में‌ सक्षम हैं तो मेरी हाथ जोड़कर विनती है कि सहयोग अवश्य करें। हम उनका दुख कम नहीं कर सकते मगर अपने‌ शब्दों से उनके घावों पर मरहम तो‌ लगा ही सकते हैं। ©Sangeet...

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