"हम जो तुमसे मिले, इत्तेफाक थोडी हैं...
मिलके तुमको भूल जाए,मजाक थोड़ी हैं...
अगर होती तुमसे दोस्ती एक हद तक, तो भूल भी जाते...
पर तुमसे हमारी दोस्ती का, हिसाब थोड़ी है...
अगर तुम ढूंढोगे मेरी इस गजल का जवाब...
ये मेरे दिल की आवाज़ हैं, कोई किताब थोड़ी हैं.....
©Swati Agrawal"