शब्दों को तीर लिखूं; कलम को शमशीर लिखूं, या अपने द | हिंदी कविता

"शब्दों को तीर लिखूं; कलम को शमशीर लिखूं, या अपने दिल की पीर लिखूं, बताओ क्या लिखूं।....1 रांझे की हीर लिखूं; या आँखों का नीर लिखूं, जो खींचे अपनी ओर; वो पाँव की जंजीर लिखूं, बताओ क्या लिखूं... 2 कुछ ऐसी नजीर लिखूं, अनपढ़ को माहिर लिखूं; खुद अपने ही हाथों से, मै अपनी तकदीर लिखूं, बताओ क्या लिखूं.....3 ©एल जी शर्मा"

 शब्दों को तीर लिखूं;
कलम को शमशीर लिखूं,
या अपने दिल की पीर लिखूं,
बताओ क्या लिखूं।....1

रांझे की हीर लिखूं;
या आँखों का नीर लिखूं,
जो खींचे अपनी ओर;
 वो पाँव की जंजीर लिखूं, 
बताओ क्या लिखूं... 2

कुछ ऐसी नजीर लिखूं,
अनपढ़ को माहिर लिखूं;
खुद अपने ही हाथों से,
मै अपनी तकदीर लिखूं,
बताओ क्या लिखूं.....3

©एल जी शर्मा

शब्दों को तीर लिखूं; कलम को शमशीर लिखूं, या अपने दिल की पीर लिखूं, बताओ क्या लिखूं।....1 रांझे की हीर लिखूं; या आँखों का नीर लिखूं, जो खींचे अपनी ओर; वो पाँव की जंजीर लिखूं, बताओ क्या लिखूं... 2 कुछ ऐसी नजीर लिखूं, अनपढ़ को माहिर लिखूं; खुद अपने ही हाथों से, मै अपनी तकदीर लिखूं, बताओ क्या लिखूं.....3 ©एल जी शर्मा

प्रेरणादायी कविता हिंदी

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