White बुझ सी गई है सफ़र की सारी रौशनी लेकिन,
जल रहें हैं इक मुद्दत से हम दीपक की तरह।
बेबसी के लम्हें तो अब आदतों में शुमार हो गए,
खा रही है मुसलसल मुझे ये ज़िंदगी दीमक की तरह।
©Kumar Saurabh
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