साहिल पर धूप बरसती रही सेहरा की रेत यूं तरसती रही | हिंदी शायरी

"साहिल पर धूप बरसती रही सेहरा की रेत यूं तरसती रही एक तू है जो दर्द समझा नहीं बर्फ बनकर के मै पिघलती रही ©Yuva kavi Vimal kumar prajapati"

 साहिल पर धूप बरसती रही
सेहरा की रेत यूं तरसती रही
एक तू है जो दर्द समझा नहीं
बर्फ बनकर के मै पिघलती रही

©Yuva kavi Vimal kumar prajapati

साहिल पर धूप बरसती रही सेहरा की रेत यूं तरसती रही एक तू है जो दर्द समझा नहीं बर्फ बनकर के मै पिघलती रही ©Yuva kavi Vimal kumar prajapati

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