ज़िंदगी तू किसी ख्वाब की तरह। आंखों में रहकर शबाब | हिंदी Poetry

"ज़िंदगी तू किसी ख्वाब की तरह। आंखों में रहकर शबाब की तरह। मैं   बूंद - बूंद  पी   रहा  हूं  तुझे। लगती मुझको तू शराब की तरह। ©मनीष कुमार पाटीदार"

 ज़िंदगी तू किसी ख्वाब की तरह।
आंखों में रहकर शबाब की तरह।

मैं   बूंद - बूंद  पी   रहा  हूं  तुझे।
लगती मुझको तू शराब की तरह।

©मनीष कुमार पाटीदार

ज़िंदगी तू किसी ख्वाब की तरह। आंखों में रहकर शबाब की तरह। मैं   बूंद - बूंद  पी   रहा  हूं  तुझे। लगती मुझको तू शराब की तरह। ©मनीष कुमार पाटीदार

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