शायद
✍ श्याम सुंदर बंसल
शायद तुमको देखने की चाहत रखना गलत है
तुमको संदेश भेजना बार- बार गलत है
तुम्हारी खुशी मे अपनी खुशी देखता हूँ
शायद संदेश का इंतज़ार करना गलत है|
यो देर रात तेरा इंतज़ार करना
तेरे खाना खाने के बाद खाना
तुमको मेरा पागलपन लगता होगा
क्योंकि अब तुम ही तो हो जिसके लिए हैं मुझको जीना|
जब से तुम जीवन में आई हो
खुद से ज्यादा चाहता हूँ तुमको
तुम्हारी खुशी के लिए कुछ भी कर दु
पता नहीं मुझको भी के किस कदर चाहता हूँ तुमको|
प्यार करना नहीं आता मुझको
प्यार जताना नही आता मुझको
अब तो तुम हो पुरी दुनिया मेरी
इतना तक कहना आता नही मुझको|
©Shyam Bansal
शायद
✍ श्याम सुंदर बंसल
शायद तुमको देखने की चाहत रखना गलत है
तुमको संदेश भेजना बार- बार गलत है
तुम्हारी खुशी मे अपनी खुशी देखता हूँ
शायद संदेश का इंतज़ार करना गलत है|