"White उन पहचानी आंखों में कुछ सपने पलते देखे हैं
ठंडी के इस ठिठुरन में हर शख्स को जलते देखे हैं
रातों में टिम टिम तारों के बीच उलझते देखें हैं
कभी बचाते कभी छिपाते बात बदलते देखे हैं
25 गज की पुड़िया में कई राज दबा के बैठे हैं
सतरंगी दुनिया के कई साज छिपा के बैठें हैं
दीवारों की सीलन की कुछ गंध छिपी है कमरों में
रिश्ते भी अब बिखर रहे और सिमट रहे है कमरों में
मुखर्जी नगर की गलियों में कई ख्वाब पिघलते देखे हैं
रातों में कई तह के अंदर कई सपने जलते देखे हैं
©Chandan Pandey"