"जीवन पथ में ,बंधनों के सुनहरे जाले
बिखरे हुए हैं , मदहोशी के प्याले
निवृत्ति की डोर, स्व अनुशासन में प्यारे
निवृत्ति के मतवाले, सदैव रहें दुनिया से न्यारे
बूढ़ी मां गृहस्थी के कामों से, कहां करती किनारे
बूढ़ा पिता अंतिम श्वास तक, घरौंदा संवारे
रमता जोगी ,सकल सृष्टि का भार कांधे उठा रहे
निवृत्ति का यह बंधु ,ये कौन सा बिगुल बजा रहे।"
🙏✍️💐
©अनामिका
#maa_baap