कवि हूं मैं कविता लिखता हूं..
बिना बोले ही सब की बात समझता हूं..!!
कवि हूं मैं कविता लिखता हूं..!!
मिलते हैं अनेकों हमें इस रास्ते में अजनबी..!!
हम बात तो बताते भी हैं,यही है जिंदगी..!!
पर कुछ ना कुछ रह जाती है कमी..!!
कवि हूं मैं कविता लिखता हूं..!!
कम्बख़त यह तन्हाई ही मार जाती है.!!
पर क्या करें...!!
साला ये किस्मत बार-बार आजमाती हैं..!!
कवि हूं मैं कविता लिखता हूं..
बस अपनी ही धुन में रहता हूं..
बस कुछ-कुछ में हीं सबकुछ कहता हूं...!
©three dots...nar
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