छोटे छोटे हाथों से जब, श्रम करवाया जाता है। उदरपूर | हिंदी कविता

"छोटे छोटे हाथों से जब, श्रम करवाया जाता है। उदरपूर्ति करने को जब,अधिमान कर्म बन जाता है। बाप की जिम्मेदारी को,जब बालक कोई निभाता है। मैं अन्तर्मन से कहता हूं,ये दिल भावुक हो जाता है। दुर्भाग्य किताबें छू न सका,न कलम-लेखनी हाथ गही। बस साथी कुदाल फावड़ा हैं,बचपन भी छूटा दूर कहीं। बाल दिवस वाले दिन भी ,जब बचपन बोझ उठाता है। मैं अन्तर्मन से कहता हूं,ये दिल भावुक हो जाता है। ©Pradeep Sharma"

 छोटे छोटे हाथों से जब, श्रम करवाया जाता है।
उदरपूर्ति करने को जब,अधिमान कर्म बन जाता है।
बाप की जिम्मेदारी को,जब बालक कोई निभाता है।
मैं अन्तर्मन से कहता हूं,ये दिल भावुक हो जाता है।

दुर्भाग्य किताबें छू न सका,न कलम-लेखनी हाथ गही।
बस साथी कुदाल फावड़ा हैं,बचपन भी छूटा दूर कहीं।
बाल दिवस वाले दिन भी ,जब बचपन बोझ उठाता है।
मैं अन्तर्मन से कहता हूं,ये दिल भावुक हो जाता है।

©Pradeep Sharma

छोटे छोटे हाथों से जब, श्रम करवाया जाता है। उदरपूर्ति करने को जब,अधिमान कर्म बन जाता है। बाप की जिम्मेदारी को,जब बालक कोई निभाता है। मैं अन्तर्मन से कहता हूं,ये दिल भावुक हो जाता है। दुर्भाग्य किताबें छू न सका,न कलम-लेखनी हाथ गही। बस साथी कुदाल फावड़ा हैं,बचपन भी छूटा दूर कहीं। बाल दिवस वाले दिन भी ,जब बचपन बोझ उठाता है। मैं अन्तर्मन से कहता हूं,ये दिल भावुक हो जाता है। ©Pradeep Sharma

#poetrywith_pradeepsharma
#Poetry
#bachpan

People who shared love close

More like this

Trending Topic