अब हमारे जज्बातों की धारा बहने लगी है
देखकर अन्याय तुम्हारे साथ पंडितों
रूह भी अब मेरी कांपने लगी है ,
ना जाने कब तुम्हें इंसाफ दिलायेगी सरकार
बस इन्हीं सवालों का जबाव जिंदगी पूछने लगी है ।
वंदेमातरम
जय हिन्द,जय हिंदी
योगी कवि मोनू राणा राजपूत
©Yogikavimonurana Rajput
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