अब हमारे जज्बातों की धारा बहने लगी है देखकर अन्याय | हिंदी कविता

"अब हमारे जज्बातों की धारा बहने लगी है देखकर अन्याय तुम्हारे साथ पंडितों रूह भी अब मेरी कांपने लगी है , ना जाने कब तुम्हें इंसाफ दिलायेगी सरकार बस इन्हीं सवालों का जबाव जिंदगी पूछने लगी है । वंदेमातरम जय हिन्द,जय हिंदी योगी कवि मोनू राणा राजपूत ©Yogikavimonurana Rajput"

 अब हमारे जज्बातों की धारा बहने लगी है
देखकर अन्याय तुम्हारे साथ पंडितों
रूह भी अब मेरी कांपने लगी है ,
ना जाने कब तुम्हें इंसाफ दिलायेगी सरकार
बस इन्हीं सवालों का जबाव जिंदगी पूछने लगी है ।

वंदेमातरम
जय हिन्द,जय हिंदी
योगी कवि मोनू राणा राजपूत

©Yogikavimonurana Rajput

अब हमारे जज्बातों की धारा बहने लगी है देखकर अन्याय तुम्हारे साथ पंडितों रूह भी अब मेरी कांपने लगी है , ना जाने कब तुम्हें इंसाफ दिलायेगी सरकार बस इन्हीं सवालों का जबाव जिंदगी पूछने लगी है । वंदेमातरम जय हिन्द,जय हिंदी योगी कवि मोनू राणा राजपूत ©Yogikavimonurana Rajput

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