दोहा :-
पढ़ा लिखा इतिहास का , दो अब सारे फेक ।
रहे सनातन याद बस , काम यही है नेक ।।१
बढ़ती दुनिया देखकर , मन करता है आज ।
जाऊँ पीछे आज बस , जहाँ लखन का राज ।।२
राजा बनकर राज कर , बनना नहीं नवाब ।
पारिजात को भूलकर , खोजे आज गुलाब ।।३
अपना भी इतिहास पढ़, खोल पुराने ग्रंथ ।
वह बतलायेंगे तुम्हें , सरल सुलभ नित पंथ ।।४
सुनना चाहो आप नित , कोई कहे नवाब ।
क्या अपने फिर धर्म को , दोगे आप जवाब ।।५
सबको अपने धर्म का , करना चहिये मान ।
इसीलिए तो जन्म ये , दिया तुम्हें भगवान ।।६
बने सनातन फिर रहे , गली-गली सब लोग ।
होता ज्ञान अगर तुम्हें , करते उचित प्रयोग ।।७
ज्ञान नहीं है धर्म का , भटक रहे सब लोग ।
तब ही तो तुम कर रहे , अनुचित यहां प्रयोग ।।८
हुआ तुम्हारे कर्म से , धर्म अगर बदनाम ।
याद रखो बख्शे नहीं , तुम्हें कभी भी राम ।।९
महेन्द्र सिंह प्रखर
©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :-
पढ़ा लिखा इतिहास का , दो अब सारे फेक ।
रहे सनातन याद बस , काम यही है नेक ।।१
बढ़ती दुनिया देखकर , मन करता है आज ।
जाऊँ पीछे आज बस , जहाँ लखन का राज ।।२
राजा बनकर राज कर , बनना नहीं नवाब ।