नाराज़ नहीं नाराज़ हूँ सुन लो, भले नासाज़ गम दे दो मु | हिंदी शायरी
"नाराज़ नहीं नाराज़ हूँ सुन लो,
भले नासाज़ गम दे दो
मुहब्बत ही है बस तुमसे
मुहब्बत की कसम ले लो
तेरी फ़ितरत नहीं मालूम
मगर तुमसे मुहब्बत है
तेरी चाहत मुझे चाहो या न चाहो
मुहब्बत का मगर मुझको भरम दे दो..!!"
नाराज़ नहीं नाराज़ हूँ सुन लो,
भले नासाज़ गम दे दो
मुहब्बत ही है बस तुमसे
मुहब्बत की कसम ले लो
तेरी फ़ितरत नहीं मालूम
मगर तुमसे मुहब्बत है
तेरी चाहत मुझे चाहो या न चाहो
मुहब्बत का मगर मुझको भरम दे दो..!!