धुआं फैला हौले-हौले जब जली सिगरेट अपनी कुर्बानी दे | हिंदी कविता

"धुआं फैला हौले-हौले जब जली सिगरेट अपनी कुर्बानी देकर भी माचिस न करती रिग्रेट फेफड़े स्याह हो गए पीकर ये सिगरेट पीने वाले सोचे मगर हो जाएंगे वे रिजनरेट ©Kirbadh"

 धुआं फैला हौले-हौले
जब जली सिगरेट
अपनी कुर्बानी देकर भी
माचिस न करती रिग्रेट

फेफड़े स्याह हो गए
पीकर ये सिगरेट
पीने वाले सोचे मगर
हो जाएंगे वे रिजनरेट

©Kirbadh

धुआं फैला हौले-हौले जब जली सिगरेट अपनी कुर्बानी देकर भी माचिस न करती रिग्रेट फेफड़े स्याह हो गए पीकर ये सिगरेट पीने वाले सोचे मगर हो जाएंगे वे रिजनरेट ©Kirbadh

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