सोच रहा हूँ अब तुम्हे फोन करूँ और तुम्हे बताऊँ कि | हिंदी Poetry

"सोच रहा हूँ अब तुम्हे फोन करूँ और तुम्हे बताऊँ कि कि मँगनी करने वाला हूँ मँगनी का मतलब तो समझती हो न? हाथ की उस उंगली में अंगूठी पहनना जिसकी रग सीधे दिल तक जाती है फिर दिल मे नही रहोगी तुम मुझे इज़ाज़त दो! मँगनी की! अगर इज़ाज़त दे दोगी तो आगे से यह रस्म चलेगी कि मुहब्बत में जो पहले शादी कर लेगा दूसरा उससे इज़ाज़त लेगा... ©irshad Siddiqui"

 सोच रहा हूँ
अब तुम्हे फोन करूँ
और तुम्हे बताऊँ कि
कि मँगनी करने वाला हूँ
मँगनी का मतलब तो समझती हो न?
हाथ की उस उंगली में अंगूठी पहनना
जिसकी रग सीधे दिल तक जाती है
फिर दिल मे नही रहोगी तुम
मुझे इज़ाज़त दो! मँगनी की!
अगर इज़ाज़त दे दोगी तो
आगे से यह रस्म चलेगी कि
मुहब्बत में जो पहले शादी कर लेगा
दूसरा उससे इज़ाज़त लेगा...

©irshad Siddiqui

सोच रहा हूँ अब तुम्हे फोन करूँ और तुम्हे बताऊँ कि कि मँगनी करने वाला हूँ मँगनी का मतलब तो समझती हो न? हाथ की उस उंगली में अंगूठी पहनना जिसकी रग सीधे दिल तक जाती है फिर दिल मे नही रहोगी तुम मुझे इज़ाज़त दो! मँगनी की! अगर इज़ाज़त दे दोगी तो आगे से यह रस्म चलेगी कि मुहब्बत में जो पहले शादी कर लेगा दूसरा उससे इज़ाज़त लेगा... ©irshad Siddiqui

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