वो सबकी बात सुनती है
किसी से ना कुछ कहती है
घर का जर्रा जर्रा उसके होने से महकता है
भगवान भी उसका प्यार पाने को तरसता है
घर में सबकी खुशियों की परवाह करती है
पर अपनी मन की बाते किसी से ना कहती है
रखती है सबका ख्याल
पर अपना ख्याल ना रख पाती है
सबके सपने पूरा करने के चक्कर में
खुद के अरमान जला देती है
हा वो खुदा से बड़ी हस्ती है
जिसमे सबकी जान बसी होती है
हा वो सिर्फ मां ही होती है
निशब्द हूं