कागज पे लिखे लब्जो का अलग हीं दौर था! | हिंदी कविता

"कागज पे लिखे लब्जो का अलग हीं दौर था! इंतजार तो था पर सुकून बहोत था ! मोबाईल के इस दौर में वो खत वाली बात कहा! पास तो हें पर लब्जो वाले जज्बात कहा! #गौरव"

 कागज पे लिखे लब्जो का अलग हीं दौर था!
             इंतजार तो था पर सुकून बहोत था !
मोबाईल के इस दौर में वो खत वाली बात कहा!
          पास तो हें पर लब्जो वाले जज्बात कहा!


#गौरव

कागज पे लिखे लब्जो का अलग हीं दौर था! इंतजार तो था पर सुकून बहोत था ! मोबाईल के इस दौर में वो खत वाली बात कहा! पास तो हें पर लब्जो वाले जज्बात कहा! #गौरव

#Khat

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