मैं भी मिट्टी, तू भी मिट्टी l
चलता फिरता जग सारा मिट्टी ll
मिट्टी से बने, मिट्टी में पले,
इक दिन फिर हो जाएंगे मिट्टी l
जग का पेट भरने की खातिर,
बीज को चाहिए पानी मिट्टी l
नारियल के खोल में जैसे गिरि,
आत्मा है कंचन, शरीर मिट्टी l
कंक्रीट, एसी से तपते घरों को,
शीतलता देगी फिर से मिट्टी l
सांसों का खेल है सारा,
सांसें बंद, शरीर मिट्टी l
चाहे उड़ो सातवें आसमान पर,
याद रखो होना है इक रोज़ मिट्टी l
जीते जी बन जाओ सोना,
मर कर फिर होना है मिट्टी l
भागते भागते थक जाऊंगा जब,
गोद में अपनी सुला लेगी मिट्टी ll
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September 2024
©Dimple Kumar
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