रात कि कम्बल बेआवाज़ दीवारें नींद तन्हा कोई रूठ गय | हिंदी Poetry Video

"रात कि कम्बल बेआवाज़ दीवारें नींद तन्हा कोई रूठ गया है किसी से और कोई तार तार कंबल उधेड़ रहा है बुन रहा है... ©sahaj "

रात कि कम्बल बेआवाज़ दीवारें नींद तन्हा कोई रूठ गया है किसी से और कोई तार तार कंबल उधेड़ रहा है बुन रहा है... ©sahaj

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