#velentineday#ulfatजिस्म से जां निकलती रही,हां मगर...
तुम यूंही उलफतों से मुकरते रहें..
सिसकियों की*सदा यूंही आती रहीं*तारिकी में तेरी यादें आती रहीं,जब महकतीं रही*बज्में_
आराइयां,और तड़पती रहीं मेरी तनहाइयाँ,
ज़िंदगी ज़िंदगी को मनाती रही,तुम यूँहीं उलफतों से मुकरतें रहे....
*आवाज़*अंधकार
*महफिल की सजावट