कदम बढ़ाया है तो फिर पीछे न हटाना.. कहने को तो कुछ भी कहता है ये जमाना !
बेटी तो ससुराल जाएगी अब उसे क्या
पढ़ाना.. बेटा ही काम आएगा कहता है ज़माना !
कैसी कैसी सोच है यहाँ पर है भारत देश जो महान मेरा.... नाही ना हो जहाँ पर फिर कैसा होगा वो जहां..!
क्यों नहीं सोचती ये दुनिया "की एक नारी ने ही तुम्हें ये जीवन दिया" उसी ने तुम्हें बनाया है !
फिर क्यों एक नारी पर ही हर पल आया विपदा का साया है !
written by amit patel
©patel ji
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