शर्मसार | ASHAMED| हैं रास्ते सुनसान, यूँ मौन से | हिंदी विचार

"शर्मसार | ASHAMED| हैं रास्ते सुनसान, यूँ मौन से खड़े, हैं कहते क्या, सुनाते क्या ये दास्तान। ये दर-ओ-दीवारें, ये सहमे मक़ान, इनमें ज़िंदा हैं कुछ लाशें कुछ मुर्दा परेशां। ये जिये यूँ हैं कि मरेंगे ही नहीं, और मरेंगे ऐसे, कि कभी जिये ही नहीं। सुबह फिर उगी है, रोशन हर शै है, हर क़तरा शक्रगुज़ार है, सिर्फ़ एक इंसान है जो शर्मशार है। .....To be continued... #SHAMELES #NOGRATTITUDE"

 शर्मसार | ASHAMED| 
हैं रास्ते सुनसान,
यूँ मौन से खड़े,
हैं कहते क्या,
सुनाते क्या ये दास्तान।

ये दर-ओ-दीवारें,
ये सहमे मक़ान,
इनमें ज़िंदा हैं कुछ लाशें
कुछ मुर्दा परेशां।

ये जिये यूँ हैं
कि मरेंगे ही नहीं,
और मरेंगे ऐसे,
कि कभी जिये ही नहीं। 

सुबह फिर उगी है,
रोशन हर शै है,
हर क़तरा शक्रगुज़ार है,
सिर्फ़ एक इंसान है 
जो शर्मशार है। 


.....To be continued... #SHAMELES #NOGRATTITUDE

शर्मसार | ASHAMED| हैं रास्ते सुनसान, यूँ मौन से खड़े, हैं कहते क्या, सुनाते क्या ये दास्तान। ये दर-ओ-दीवारें, ये सहमे मक़ान, इनमें ज़िंदा हैं कुछ लाशें कुछ मुर्दा परेशां। ये जिये यूँ हैं कि मरेंगे ही नहीं, और मरेंगे ऐसे, कि कभी जिये ही नहीं। सुबह फिर उगी है, रोशन हर शै है, हर क़तरा शक्रगुज़ार है, सिर्फ़ एक इंसान है जो शर्मशार है। .....To be continued... #SHAMELES #NOGRATTITUDE

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