White जिंदगी में नजरों का झुकाना जरूरी था ज़बान से | हिंदी कविता

"White जिंदगी में नजरों का झुकाना जरूरी था ज़बान से बोलने में कतराना जरूरी था कुछ सुन कर अनसुना कर जाना जरूरीथा। तलबते लवों का गुनगुनाना जरूरी था। उन आसक्त लम्हों को बिताना जरूरी था। भाव में रोना-मुस्कुराना जरूरी था। क्या कहें, किस कदर दिल को बहलाना जरूरी था। ©सुभद्रा"

 White जिंदगी में नजरों का झुकाना जरूरी था 
ज़बान से बोलने में कतराना जरूरी था 
कुछ सुन कर अनसुना कर जाना जरूरीथा।
तलबते लवों का गुनगुनाना जरूरी था।
उन आसक्त लम्हों को बिताना जरूरी था।
भाव में रोना-मुस्कुराना जरूरी था।
क्या कहें,
 किस कदर दिल को बहलाना जरूरी था।

©सुभद्रा

White जिंदगी में नजरों का झुकाना जरूरी था ज़बान से बोलने में कतराना जरूरी था कुछ सुन कर अनसुना कर जाना जरूरीथा। तलबते लवों का गुनगुनाना जरूरी था। उन आसक्त लम्हों को बिताना जरूरी था। भाव में रोना-मुस्कुराना जरूरी था। क्या कहें, किस कदर दिल को बहलाना जरूरी था। ©सुभद्रा

#good_night

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